Tuesday, February 12, 2019

सीबीआई जांच को लेकर कैमूर का महिला अल्पावास गृह सुर्खियों में

भभुआ। सीबीआई जांच को लेकर कैमूर जिले का महिला अल्पावास गृह इन दिनों सुर्खियों में है। इसके खिलाफ मामला दर्ज कर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो करीब 3 सप्ताह से जांच में जुटा हुआ है। अनुसंधान को पूरी तरह से गोपनीय रखा जा रहा है। वहीं जांच के तरीके व इसके संभावित परिणामों को लेकर स्थानीय लोगों में कयासबाजी का दौर भी खूब चल रहा है।

बता दें कि प्रदेश के समाज कल्याण विभाग के अनुदान से चलने वाले इस आश्रय गृह को लालापुर कुदरा के एनजीओ ग्राम स्वराज सेवा संस्थान द्वारा वहीं पर चलाया जाता था। परिवार अथवा समाज से उपेक्षित महिलाओं को आश्रय, परामर्श व प्रशिक्षण देकर उनके पुनर्वास के लिए चलाया जाने वाला यह आश्रय गृह पहली बार तब सुर्खियों में आया जब पिछले वर्ष मुंबई की संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की ऑडिट रिपोर्ट में इसका नाम आने के बाद इसके खिलाफ मामला दर्ज कराया गया। उस वक्त राज्य महिला विकास निगम के जिला परियोजना प्रबंधक मनोज कुमार द्वारा भभुआ महिला थाने में दर्ज कराई गई प्राथमिकी में संस्था के  तीन कर्मियों सुदर्शन राम, पिंटू पाल व तारा देवी को नामजद करते हुए उन पर संवासिनों के साथ मारपीट व दुर्व्यवहार के आरोप लगाए गए थे। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने मुजफ्फरपुर के बालिका गृह सहित जिन 17 आश्रय गृहों की स्थिति को चिंताजनक बताया था उनमें लालापुर के महिला अल्पावास गृह की चर्चा भी प्रमुखता से की गई थी। रिपोर्ट में चिंताजनक स्थिति की श्रेणी में कैमूर जिले के कुल 2 आश्रय गृहों की चर्चा की गई थी। जिनमें जिला मुख्यालय भभुआ में ज्ञान भारती द्वारा संचालित विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी भी शामिल थी। उसके बाद स्थानीय प्रशासन सक्रिय हुआ तथा जहां उसने लालापुर के महिला अल्पावास गृह को बंद करा कर वहां रहनेवाली संवासिनों को भोजपुर के आश्रय गृह आदि जगहों पर भिजवाया, वहीं भभुआ की विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी का संचालन प्रशासन ने अपने हाथों में ले लिया। कुछ इसी तरह की  कार्रवाई अन्य जिलों में भी हुई जहां के आश्रय गृहों की स्थिति टीआईएसएस की ऑडिट रिपोर्ट में चिंताजनक बताई गई थी। उन जिलों के संबंधित पुलिस स्टेशनों में इस संबंध में मामले दर्ज कराए गए। लेकिन पुलिस के अनुसंधान के क्रम में जब मुजफ्फरपुर बालिका गृह में उत्पीड़न के खौफनाक तथ्य सामने आए तो उच्चतम न्यायालय ने उसकी जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया। बाद में उच्चतम न्यायालय ने लालापुर के महिला अल्पावास गृह समेत शेष 16 मामलों की जांच को भी सीबीआई को सौंप दिया। उसके बाद इस वर्ष जनवरी माह में लालापुर के महिला अल्पावास गृह के खिलाफ मामला दर्ज कर सीबीआई जांच में जुटी हुई है। बताते चलें कि ग्राम स्वराज सेवा संस्थान द्वारा संचालित महिला अल्पावास गृह के संचालक सह सचिव शिव गोविंद साह समेत मामले में सभी चारों आरोपित इस वक्त जमानत पर हैं। शुरुआत में प्राथमिकी अभियुक्त बनाए गए आश्रय गृह के कर्मी पिंटू पाल, सुदर्शन राम व तारा देवी  को कोर्ट से पहले ही जमानत मिल गई थी। बाद में पुलिस के अनुसंधान के क्रम में दोषी पाए जाने पर गिरफ्तार कर जेल भेजे गए संस्था के संचालक सह सचिव शिव गोविंद साह को भी जमानत पर रिहा कर दिया गया।
kudra
कुदरा के लालापुर में महिला अल्पावास गृह (फाइल फोटो)